Sunday, January 17, 2010

हल्का-पन


भारी-भारी चीज़ें फेंको, आज जमाना हल्के का,
नए दौर की नई हवा है, चला जमाना हल्के का,
भारी-भारी चीजें फेंको, आज जमाना हल्के का।

हल्की गाड़ी, हल्की साड़ी, हल्के सब सामान भए,
कंप्यूटर, मोबाइल हल्के, हल्के घर के काम भए,
बीवी हल्की, टीवी हल्का, वजन भी हल्का पल्के का,
भारी-भारी चीजें फेंको आज जमाना हल्के का।

हल्का खाना डॉक्टर बोले, भारी से परहेज करो,
नया समय है लाइट फूड का मक्खन-घी को दूर धरो,
खाना मम्मी किचन में छौंके बिना तेल के तड़के का,
भारी-भारी चीजें फेंको आज जमाना हल्के का।

तन पर कपड़े वजन दे रहे, हय मजबूरी रहती है,
कपड़ों से आराम छिने है, घर की बिटिया कहती है,
फैशन देखो आम हो गया छोटे-हल्के कपड़े का,
भारी-भारी चीजें फेंको, आज जमाना हल्के का।

कठिन शब्द पल्ले नहीं पड़ते, हल्का जी साहित्य रचो,
पढ़ते-पढ़ते बोर हो रहे, आदर्शों से जरा बचो,
मंचों पर भी चलन हो गया हल्की बातें करने का,
भारी-भारी चीजें फेंको आज जमाना हल्के का।

हल्केपन की इस बयार में मनुज भी हल्का हो गया,
तन से मोटा, मन से खोखा वजन जुबां का खो गया,
तगड़े-तगड़े लोग हैं लेकिन चरित है उनका फुल्के सा,
भारी-भारी चीजें फेंको आज जमाना हल्के का।

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