Saturday, May 29, 2010

कायर नक्सली नहीं, भारत सरकार है!

नक्सलियों ने सरकार के कान पर एक और धमाका कर दिया है. ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को पटरी से गिरा कर एक और नरसंहार. अब तक मरने वालों कि संख्या ९८ बताई जा रही है लेकिन ये १५० के आस-पास जा कर ही रुकेगी. ३०० से ज्यादा लोग घायल हैं. मरने वालों में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर परिवार के इकलौते चिराग भी शामिल हैं. सब के सब आम लोग हैं. इस हादसे में अभी तक किसी खास के मरने की खबर नहीं है. और जब तक खास लोगों पर हादसे का असर ना हो तब तक वो हादसे हमारी सरकार के लिए महत्त्व नहीं रखते.

गृह मंत्री एक और भाषण के साथ तैयार हैं. ममता और बुद्धदेव को राजनैतिक रोटी सकने का मौका मिल गया है. बयान बाजी शुरू हो गयी है. और ये बयानबाजी केवल बयानबाजी ही रहेगी. नक्सलियों के गिरेबान पर हाथ डालने की हिम्मत सरकार में नहीं. अपने ७८ जवान मरवाकर जिस सरकार के माथे पे शिकन नहीं आई वह सरकार इस हादसे पे कैसे कोई कदम उठा सकती है.

वैसे भी अरुंधती रॉय जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी लोग तो पहले से ही नक्सलियों की हिम्मत बंधाने में अगुआ हैं. तमाम संस्थानों में ऊंचे ऊंचे पदों पर आसीन कितने ही पत्रकार अपनी सैलरी में से नक्सलियों के वास्ते लेवी कटवाते ही हैं. जब तक ऐसे हिम्मत बंधाने वाले लोग बैठे हैं तब तक नक्सलियों की हिम्मत तोडना बे सर पैर की बात है.

हैरत तो इस बात पे होती है जो सरकार देश के अंदरूनी खतरों का मुकाबला नहीं कर सकती वो बाहरी देश के हमलों को कैसे झेल पायेगी. बार बार बयान देकर सरकारी तंत्र शांति प्रियता की आड़ में अपनी कायरता का परिचय दे रहा है. बार बार गाल पर तमाचा मारा जा रहा है और हमको शांति सूझ रही है. इन ताज़ा हादसों के बाद देश के एक एक नागरिक को ये भरोसा हो चला है कि हम अगर जिंदा हैं तो ये आतताइयों  की दरियादिली है. क्योंकि वो जब चाहे जहाँ चाहे हमारा खून बहा सकते हैं. सरकार हमसे टैक्स वसूलने में तो खूब चौकस है लेकिन हमें सुरक्षा प्रदान करने में उसकी पतलून गीली है.

जब तक गोली का जवाब गोली से नहीं दिया जायेगा तब तक ये हमले जारी रहेंगे. क्योंकि वो जानते हैं की भारत में रीढ़ विहीन सरकारों का राज है. कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. उनका ये विश्वास दिन बा दिन मजबूत हो रहा है. सरकार इन आतंकियों के हमलों को कायराना कदम कहती है, लेकिन अपने गिरेबान में झांक के देखे कायर ये हमलावर हैं या खुद सरकार में बैठे लोग कायरता की मूर्ती हैं. कायराना हरकत नक्सली और आतंकी नहीं बल्कि भारत सरकार कर रही है.

5 comments:

  1. पूरी तरह से सहमत !हैं तो नक्सली भी कायर ही मगर ये दिल्ली वाले महाकायर हैं !

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  2. सचिन जी आप ठीक कह रहे हैं. सरकार की कायरता के कारण ही इन नक्सलियों की इतनी हिम्मत हो रही है. इस पर जल्द ही काबू नहीं किया गया तो स्थिति और भी भयावह हो जाएगी.
    तरुण सिसोदिया

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  3. बिलकुल सही कहा दोस्त.. पर ये घटनाएं सिर्फ तमाचा नहीं.. घर उजड़े हैं इनमे कितने ही.. ये भी तो पता नहीं कि कौन सी पार्टी की सरकार सुरक्षा देगी हमें, जिससे कि अगली बार ऐसी गलती ना दोहराई जा सके.

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  4. जब तक गोली का जवाब गोली से नहीं दिया जायेगा तब तक ये हमले जारी रहेंगे. क्योंकि वो जानते हैं की भारत में रीढ़ विहीन सरकारों का राज है. कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. उनका ये विश्वास दिन बा दिन मजबूत हो रहा है. सरकार इन आतंकियों के हमलों को कायराना कदम कहती है, लेकिन अपने गिरेबान में झांक के देखे कायर ये हमलावर हैं या खुद सरकार में बैठे लोग -बिलकुल सही लिखा है आपने- इन नक्सलियों पर जल्द ही काबू नहीं किया गया तो स्थिति और भी भयावह हो जाएगी छत्तीसगर मे बस्तर के हालात बहुत बुरे हो गये है आये दिन जवान जनता मारे जा रहे है अब तक नक्सलियों की हिम्मत तोडना बे सर पैर की बात है.
    जो सरकार देश के अंदरूनी खतरों का मुकाबला नहीं कर सकती वो बाहरी देश के हमलों को कैसे झेल पायेगी. आज नक्सली कहते है कि शहर बन्द तो बन्द -सरकार की सारी चोकसी फ़ेल -

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  5. kya ise sarkar samarthit mane?

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