
भई ये दुनिया गज़ब कि है। हर आदमी दो के चार करने में व्यस्त नज़र आ रहा है। अपने रूटीन काम के साथ आदमी कोई न कोई तरीका ऊपर से कमाई करने का भी निकाल लेता है। अब आपको भारतीय रेल में ऊपर से कमाने के कई तरीके मालूम होंगे। मसलन टीटी की ट्रेन में उगाई । रिज़र्वेशन काउंटर पर दलालों का बोलबाला। आदि आदि। लेकिन मेरठ में रेलवे की रिपोर्टिंग के दौरान ऊपरी कमाई का एक नया तरीका देखने को मिला। अरे ये जो ट्रेनें प्लेटफॉर्म पर रूकती हैं। इसमे भी कमाई का जरिया छिपा है। प्लेटफॉर्म नम्बर एक के दुकानदार कहते हैं कि दूसरे प्लेटफॉर्म वाले स्टेशन प्रबंधन को महीना पहुचाते हैं, इसलिए ज्यादातर ट्रेनें प्लेटफॉर्म नम्बर दो और तीन से गुजरती हैं। एक नम्बर वाले कहते हैं कि मैं अपने अख़बार में छाप दूँ। लेकिन मेरे हाथ सबूत ही नहीं लगे। बड़ी गज़ब कि दुनिया है। सब कमा रहे हैं। सब मस्त हैं। और मस्त है देश की व्यवस्था। बापू। ओ बापू। कहाँ हो?
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