गुरुवार, 8 जनवरी 2009

अलविदा गौतम



गौतम गोस्वामी कि मृत्यु हो गई वही गौतम जो पहले डॉक्टर, फिर आईपीएस में चयनित हुआ, फिर आईऐएस बना। पटना का डीएम बनकर जिसने खूब सुर्खियाँ बटोरीं। उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवाणी की चुनावी रैली जब रात के दस बजे से लेट हुई तो गौतम ने बेझिझक कहा- सर टाइम अप। एक डीएम ने डिप्टी पीएम को कानून बताया था। अडवाणी चुपचाप मंच छोड़कर नीचे उतर गए थे। फिर बिहार में आई बाढ़ में शानदार काम कर उसी गौतम ने टाईम्स मैगजीन में जगह बनाई। फिर कुछ ऐसा हुआ कि वही बाढ़ गौतम के लिए पतन का कारण बन गई। उस पर बाढ़ के लिए आई राहत में भरी धांधली करने का आरोप लगा। बाढ़ घोटाले में गौतम ऐसा फंसा कि निकल नहीं सका। अब यह तो पता नहीं कि गौतम ने सचमुच इतना बड़ा घोटाला किया था कि नहीं। लेकिन आज का सच यह है कि गौतम गोस्वामी कैंसर से झूझते हुए, सिर्फ़ ४१ साल कि उम्र में इस दुनिया से रुखसत हो गया। बाढ़ घोटाले कि जांच चल रही है और चलती रहेगी। गौतम कि मौत कि खबरें जब अख़बारों में छपी तो उनमें कई कई बार बाढ़ घोटाले का जिक्र किया गया। गौतम कि अन्तिम संस्कार में केवल दो बड़े अधिकारी शामिल हुए। जांच पूरी होने से पहले ही गौतम को दोषी मान लिया गया था। मृत्यु के बाद भी यह लाजवाब अधिकारी वह सम्मान प्राप्त नहीं कर सका जिसका वो हक़दार था।

मिलावटः समाज में घुल रहा एक धीमा जहर

खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या सतही तौर पर भले बहुत गंभीर नहीं दिखती हो, लेकिन मिलावटखोरी का बाजार देश में गहराई तक फैला हुआ है। धन कमा...