मौका मुआयना
Friday, June 19, 2009
Thursday, June 18, 2009
शक्ति

महिला सशक्तिकरण की आज कल खूब बातें होती हैं। गरमा गर्मी गोटी होती रहती भी गरमा गर्मी होती रहती है। कुछ लोग उनकी कार्य क्षमता पर भी प्रश्न चिह्न लगाते हैं। ऐसे लोगों के लिए मेरठ एकd बढ़िया उदहारण है। मेरठ के हालिया
दंगों में ऐसी तस्वीर सामने आई की रहा नहीं गया और लिखना पड़ा। आजकल मेरठ में एक संयोग है, जिले के तमाम महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं आसीन हैं। शहर की डीएम हैं कामिनी चौहान रतन और कमिश्नर हैं राधा एस चौहान । प्रथम नागरिक की कुर्सी भी महिला ने संभाल rakhi है। अब इस महिला प्रधान सिस्टम में अचानक 6 जून को दंगा भड़क गया। दंगा इतना व्यापक नहीं था, माल का नुकसान तो हुआ पर जान का कोई नुकसान सामने नहीं आया। लेकिन फिर भी शहर में अहतियातन curfew लगा दिया गया। अचानक शहर का माहौल टेंस हो गया। सड़कों पर आरऐएफ़ और सीआरपीएफ की गश्त होने लगी। देर रात कई दुकानें और गाडियां आग के हवाले कर डी गयीं तो माहौल और गर्म हो गया। ऐसे माहौल में भूमिया के पुल और कांच के पुल जैसे सेंसिटिव इलाकों में डीएम् कामिनी चौहान रतन ने मौके पर पहुच कर सुरक्षा बलों के साथ मोर्चा संभाला। बिना कोई लाइफ जैकेट लिए। अगले दिन कमिश्नर राधा एस चौहान ने भी हाथ में डंडा लेकर सुरक्षा बलों के साथ दौरा किया। दोनों महिला अधिकारियों का दंगे के दौरान यह शौर्य रूप देखने लायक था। कवि ने तो लिखा था की "नारी तुम केवल श्रद्धा हो" लेकिन ये दृश्य देखकर लगा की "नारी तुम केवल शक्ति हो"।
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