अबकी आम चुनाव में अलग-अलग दिन घटी घटनाओं को मैंने फेसबुक पर दोहों के रूप में लिखा। 17 मार्च को शुरू हुआ सफर लिखते-लिखते आज 17 मई को आकर समाप्त हुआ। दोस्तों के कहने पर इन सबको एक जगह इकठ्ठा करके अपने ब्लॉग पर डाल रहा हूँ, उम्मीद है पसंद आएंगे:-
चुनावी दोहा न. 1
दंगों में मेहनत करी, हवा जेल की खाये।
टिकट गया संजीव को, सोम खड़े पछताये।
दंगों में मेहनत करी, हवा जेल की खाये।
टिकट गया संजीव को, सोम खड़े पछताये।
चुनावी दोहा न. 2
अरविंद-मोदी दोउ खड़े, किसको डालें वोट।
गलती अबकी कर गए, बहुत पड़ेगी चोट।।
अरविंद-मोदी दोउ खड़े, किसको डालें वोट।
गलती अबकी कर गए, बहुत पड़ेगी चोट।।
चुनावी दोहा न. 3
सत्ता तू बड़भागिनी, मिले
न बारम्बार।
तेरे रहते देख लूँ, बढ़िया बंग्ला कार।।
तेरे रहते देख लूँ, बढ़िया बंग्ला कार।।
चुनावी दोहा न. 4
बातें बढ़-बढ़ कीजिए, सुनो न कोई पीर।
सबको कुछ-कुछ दीजिए, अस्वासन की खीर।।
सबको कुछ-कुछ दीजिए, अस्वासन की खीर।।
चुनावी दोहा न. 5
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा मिला हर कोई।
'कजरी' जा संसार में, तुझ से भला न कोई।।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा मिला हर कोई।
'कजरी' जा संसार में, तुझ से भला न कोई।।
चुनावी दोहा न. 6
जब तक रहो विपक्ष में, खूब करो हड़ताल।
कागा चित से बने रहो, चलो हंस की चाल।।
जब तक रहो विपक्ष में, खूब करो हड़ताल।
कागा चित से बने रहो, चलो हंस की चाल।।
चुनावी दोहा न. 7
मंत्री पद वो चीज़ है, एक बार मिल जाए।
सात पुश्त परिवार की, बस यूं ही तर जाएं।।
मंत्री पद वो चीज़ है, एक बार मिल जाए।
सात पुश्त परिवार की, बस यूं ही तर जाएं।।
चुनावी दोहा न. 8
अस्सी सावन जी चुके, जाए न पद को मोह।
चश्मा पहने ले रहे, राजनीति की टोह।।
अस्सी सावन जी चुके, जाए न पद को मोह।
चश्मा पहने ले रहे, राजनीति की टोह।।
चुनावी दोहा न. 9
कल तक जो अस्पृश्य थे, और बहुत बदनाम।
सत्ता की खातिर लगें, अब वो बहुत महान।।
कल तक जो अस्पृश्य थे, और बहुत बदनाम।
सत्ता की खातिर लगें, अब वो बहुत महान।।
चुनावी दोहा न. 10
भाजप का कुनबा बढ़ा, मोदी का गुणगान।
चढ़ते सूरज को सदा, करते लोग प्रणाम।।
भाजप का कुनबा बढ़ा, मोदी का गुणगान।
चढ़ते सूरज को सदा, करते लोग प्रणाम।।
चुनावी दोहा न. 11
राजनीति के खेल में, कोई शत्रु न मित्र।
सत्ता सुख पनपा रहा, अवसरवाद विचित्र।।
राजनीति के खेल में, कोई शत्रु न मित्र।
सत्ता सुख पनपा रहा, अवसरवाद विचित्र।।
चुनावी दोहा न. 12
राजनीति में तय नहीं, कब लेवें संन्यास।
नेता बढ़ती उम्र में, करवाते परिहास।।
राजनीति में तय नहीं, कब लेवें संन्यास।
नेता बढ़ती उम्र में, करवाते परिहास।।
चुनावी दोहा न. 13
सत्ता के संघर्ष का, कोई आदि न अंत।
हवा किधर है बह रही, ये समझें जसवंत।।
सत्ता के संघर्ष का, कोई आदि न अंत।
हवा किधर है बह रही, ये समझें जसवंत।।
चुनावी दोहा न. 14
जद(यू) का कुनबा घटे, चले न कोई जोर।
कई विभीषण छोड़ कर, चले 'राम' की ओर।।
जद(यू) का कुनबा घटे, चले न कोई जोर।
कई विभीषण छोड़ कर, चले 'राम' की ओर।।
चुनावी दोहा न. 15
विश्वनाथ दरबार में, भइ नेतन की भीर।
कौन करे काशी विजय, बड़े-बड़े हैं वीर।।
विश्वनाथ दरबार में, भइ नेतन की भीर।
कौन करे काशी विजय, बड़े-बड़े हैं वीर।।
चुनावी दोहा न. 16
जनरल सिंह लड़ने चले, नई चुनावी जंग।
'गलत' उम्र के फेर में, 'सही' जम गया रंग।।
जनरल सिंह लड़ने चले, नई चुनावी जंग।
'गलत' उम्र के फेर में, 'सही' जम गया रंग।।
चुनावी दोहा न. 17
राजनीति ने खा लिया, भाइ-बहन का प्यार।
सारण आकर बिखर गए, राखी के सब तार।।
राजनीति ने खा लिया, भाइ-बहन का प्यार।
सारण आकर बिखर गए, राखी के सब तार।।
चुनावी दोहा न. 18
डंडे से अंडे भले, सुनो केजरीवाल।
सिर पर यूँ खाते रहो, मस्त रहेंगे बाल।।
डंडे से अंडे भले, सुनो केजरीवाल।
सिर पर यूँ खाते रहो, मस्त रहेंगे बाल।।
चुनावी दोहा न. 19
पासवान को मिल गया, फिर एक नव जीवन।
जब से लोजप को मिली, भाजप ऑक्सीजन।।
पासवान को मिल गया, फिर एक नव जीवन।
जब से लोजप को मिली, भाजप ऑक्सीजन।।
चुनावी दोहा न. 20
राहुल ने दौरा किया, यत्र तत्र सर्वत्र।
कांग्रेस ने तब किया, जारी घोषणापत्र।।
राहुल ने दौरा किया, यत्र तत्र सर्वत्र।
कांग्रेस ने तब किया, जारी घोषणापत्र।।
चुनावी दोहा न. 21
जन सेवा हेतू बना, राजनीति का कर्म।
नेता करियर मानते, समझ न पाए मर्म।।
जन सेवा हेतू बना, राजनीति का कर्म।
नेता करियर मानते, समझ न पाए मर्म।।
चुनावी दोहा न. 22
टिकट मांगने को मची, है जूतम पैजार।
अपनों के ही सामने, हर दल है लाचार।।
टिकट मांगने को मची, है जूतम पैजार।
अपनों के ही सामने, हर दल है लाचार।।
चुनावी दोहा न. 23
मोदी की गोदी चढ़े, साबिर अलि भी आय।
गठबंधन को तोड़कर, अब नितीश पछताय।।
मोदी की गोदी चढ़े, साबिर अलि भी आय।
गठबंधन को तोड़कर, अब नितीश पछताय।।
चुनावी न. 24
नकवी ने जारी किया, साबिर पर एतराज़।
दाउद से तुलना करी, हुए विकट नाराज़।।
नकवी ने जारी किया, साबिर पर एतराज़।
दाउद से तुलना करी, हुए विकट नाराज़।।
चुनावी न. 25
भाजप सत्ता के लिए, सबको गले लगाय।
भानुमती के नाम का, कुनबा बढ़ता जाय।।
भाजप सत्ता के लिए, सबको गले लगाय।
भानुमती के नाम का, कुनबा बढ़ता जाय।।
चुनावी दोहा 26
साबिर को अपनाय के, भाजप घिरती जाय।
बढ़ता हल्ला देखकर, रस्ता दिया दिखाय।।
साबिर को अपनाय के, भाजप घिरती जाय।
बढ़ता हल्ला देखकर, रस्ता दिया दिखाय।।
चुनावी दोहा 27
बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय।
काम बिगाड़े आपना, जग में होत हंसाय।।
(ये वाला मेरा दोहा नहीं, पर यहाँ भाजपा पर फिट)
बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय।
काम बिगाड़े आपना, जग में होत हंसाय।।
(ये वाला मेरा दोहा नहीं, पर यहाँ भाजपा पर फिट)
चुनावी दोहा न. 28
भारी पड़े मसूद को, ऊंचे कड़वे बोल।
गाल बजाने से प्रथम, मन में लेवें तोल।।
भारी पड़े मसूद को, ऊंचे कड़वे बोल।
गाल बजाने से प्रथम, मन में लेवें तोल।।
चुनावी दोहा न. 29
बूढ़ों के संग भाजपा, रोज फंसावे कोण।
कोइ बना है भीष्मपिता, कोइ बन गया द्रोण।।
बूढ़ों के संग भाजपा, रोज फंसावे कोण।
कोइ बना है भीष्मपिता, कोइ बन गया द्रोण।।
चुनावी दोहा न. 30
राहुल, तुलसी और कवि, भिड़े अमेठी आय।
जनता पर निर्भर करे, किसे कहेगी बाय।।
राहुल, तुलसी और कवि, भिड़े अमेठी आय।
जनता पर निर्भर करे, किसे कहेगी बाय।।
चुनावी दोहा न. 31
टिकट वापसी के लिए, लगी 'आप' में होड़।
'कजरी' के पद चिन्ह पर, भाग रहे रण छोड़।।
टिकट वापसी के लिए, लगी 'आप' में होड़।
'कजरी' के पद चिन्ह पर, भाग रहे रण छोड़।।
चुनावी दोहा न. 32
दल-दल दर-दर घूम लिए, कोई न डाले घास।
चले बुखारी हार कर, कांग्रेस के पास।।
दल-दल दर-दर घूम लिए, कोई न डाले घास।
चले बुखारी हार कर, कांग्रेस के पास।।
चुनावी दोहा न. 33
मधुसूदन को जीत की, आस नज़र ना आय।
लगा पोस्टर फाड़कर, खुजली लीन्ह मिटाय।।
मधुसूदन को जीत की, आस नज़र ना आय।
लगा पोस्टर फाड़कर, खुजली लीन्ह मिटाय।।
चुनावी दोहा न. 34
टीडीपी भी आ गई, एनडीए के साथ।
सींग लड़ाए तब बनी, गठबंधन पर बात।।
टीडीपी भी आ गई, एनडीए के साथ।
सींग लड़ाए तब बनी, गठबंधन पर बात।।
चुनावी न. 35
आखिरकर जारी हुआ, भाजप घोषणा पत्र।
शक्ल दिखाने को हुए, नेता सभी एकत्र।।
आखिरकर जारी हुआ, भाजप घोषणा पत्र।
शक्ल दिखाने को हुए, नेता सभी एकत्र।।
चुनावी न. 36
राम राम रटते रहो, जब तक रहो विपक्ष।
तुरत राम बिसराइ दो, जइसे आओ पक्ष।।
राम राम रटते रहो, जब तक रहो विपक्ष।
तुरत राम बिसराइ दो, जइसे आओ पक्ष।।
चुनावी दोहा न. 37
राजनीति के गुल खिलें, नित नए नवल प्रवीन।
तीन लोक तारण तरण, संविधान आधीन।।
राजनीति के गुल खिलें, नित नए नवल प्रवीन।
तीन लोक तारण तरण, संविधान आधीन।।
चुनावी दोहा न. 38
अजित सिंह या सत्यपाल, जीत एक की होय।
दो जाटन के बीच में, बाकी बचा न कोय।।
अजित सिंह या सत्यपाल, जीत एक की होय।
दो जाटन के बीच में, बाकी बचा न कोय।।
चुनावी दोहा न. 39
क्षमा बड़न को चाहिए, 'लड़कन' को उत्पात।
फंसे मुलायम बोलकर, ऐसी घटिया बात।।
क्षमा बड़न को चाहिए, 'लड़कन' को उत्पात।
फंसे मुलायम बोलकर, ऐसी घटिया बात।।
चुनावी दोहा न. 40
कटू वचन होते सदा, दो-धारी तलवार।
आज़म-अमित गंवा दिए, सम्बोधन अधिकार।।
कटू वचन होते सदा, दो-धारी तलवार।
आज़म-अमित गंवा दिए, सम्बोधन अधिकार।।
चुनावी दोहा न. 41
मनमोहन पीछे पड़ा, बारू पुस्तक भूत।
पन्ना - पन्ना खोलता, यूपीए करतूत।।
मनमोहन पीछे पड़ा, बारू पुस्तक भूत।
पन्ना - पन्ना खोलता, यूपीए करतूत।।
चुनावी दोहा न. 42
संजय ने वर्णन किया, यूपीए का हाल।
नई महाभारत छिड़ी, भारत में तत्काल।।
संजय ने वर्णन किया, यूपीए का हाल।
नई महाभारत छिड़ी, भारत में तत्काल।।
चुनावी दोहा न. 43
भाजप गठबंधन चला, नए शिखर की ओर।
जनमत सर्वेक्षण करें, नमो नमो का शोर ।।
भाजप गठबंधन चला, नए शिखर की ओर।
जनमत सर्वेक्षण करें, नमो नमो का शोर ।।
चुनावी दोहा न. 44
गर्म हो रहा हर तरफ, दावों का बाजार।
सोलह मइ ही तय करे, पीएम का किरदार।।
गर्म हो रहा हर तरफ, दावों का बाजार।
सोलह मइ ही तय करे, पीएम का किरदार।।
चुनावी दोहा न. 45
राजदीप-अर्णब गए, राज ठाकरे द्वार।
टीआरपी हेतु सुनी, नेता की फटकार।।
राजदीप-अर्णब गए, राज ठाकरे द्वार।
टीआरपी हेतु सुनी, नेता की फटकार।।
चुनावी दोहा न. 46
जीजा जी के नाम पर, मचा चुनावी दंग।
भाषा की सीमाएं सब, नित्य हो रहीं भंग।।
जीजा जी के नाम पर, मचा चुनावी दंग।
भाषा की सीमाएं सब, नित्य हो रहीं भंग।।
चुनावी दोहा न. 47
जहां पहुंच अरविंद का, धरना बन गया ध्यान।
धरती का दिखता असर, काशी बड़ा महान।।
जहां पहुंच अरविंद का, धरना बन गया ध्यान।
धरती का दिखता असर, काशी बड़ा महान।।
चुनावी दोहा न. 48
जिसने चुन चुन कर जहां, पंडित दिए निकाल।
वो फ़ारुक़ कश्मीर से, बजा रहे हैं गाल।।
जिसने चुन चुन कर जहां, पंडित दिए निकाल।
वो फ़ारुक़ कश्मीर से, बजा रहे हैं गाल।।
चुनावी दोहा न. 49
थ्री डी, ट्वीटर, फ़ेसबुक, टेकनीक का राज।
एक बची थी सेल्फ़ी, वो भी कर दी आज।।
थ्री डी, ट्वीटर, फ़ेसबुक, टेकनीक का राज।
एक बची थी सेल्फ़ी, वो भी कर दी आज।।
चुनावी दोहा न. 50
बहुत सरल है दिग्विजय, गैर पे करना वार।
अब खुद की तस्वीर पर, बोलो बरखुरदार।।
बहुत सरल है दिग्विजय, गैर पे करना वार।
अब खुद की तस्वीर पर, बोलो बरखुरदार।।
चुनावी दोहा न. 51
रिश्तों में दिखने लगे, वोटों के आसार।
मित्र बहन बेटी बुआ, चर्चा बारम्बार।।
रिश्तों में दिखने लगे, वोटों के आसार।
मित्र बहन बेटी बुआ, चर्चा बारम्बार।।
चुनावी दोहा न. 52
मोदी की शतरंज पर, मोहरा डीडी न्यूज़।
इंटरव्यू लेकर फंसा, कांग्रेस कन्फ्यूज।।
मोदी की शतरंज पर, मोहरा डीडी न्यूज़।
इंटरव्यू लेकर फंसा, कांग्रेस कन्फ्यूज।।
चुनावी दोहा न. 53
जदयू के अध्यक्ष जी, बदल रहे हैं बोल।
आगे की रणनीति पर, पोल रहे हैं खोल।।
जदयू के अध्यक्ष जी, बदल रहे हैं बोल।
आगे की रणनीति पर, पोल रहे हैं खोल।।
चुनावी दोहा न. 54
जिसके सुमिरन से सदा, कटें सभी के व्याध।
वही नाम लेना हुआ, भारत में अपराध।।
जिसके सुमिरन से सदा, कटें सभी के व्याध।
वही नाम लेना हुआ, भारत में अपराध।।
चुनावी दोहा न. 55
'यादव जी' ने जो किया, पक्षपात का काम।
भाजप को मुद्दा मिला, हुआ बनारस जाम।।
'यादव जी' ने जो किया, पक्षपात का काम।
भाजप को मुद्दा मिला, हुआ बनारस जाम।।
चुनावी दोहा न. 56
मोदी को प्रतिबंध से, हुआ दोगुना लाभ।
जिला प्रशासन भीड़ में, बौना दिखा जनाब।।
मोदी को प्रतिबंध से, हुआ दोगुना लाभ।
जिला प्रशासन भीड़ में, बौना दिखा जनाब।।
चुनावी दोहा न. 57
अबकी आम चुनाव में, बलवे पड़े दिखाइ।
पिछले हिंसक दौर की, फिर से याद दिलाइ।।
अबकी आम चुनाव में, बलवे पड़े दिखाइ।
पिछले हिंसक दौर की, फिर से याद दिलाइ।।
चुनावी दोहा न. 58
सबसे बड़े चुनाव में, हालत हुई ख़राब।
नौ चरणों का फैसला, लंबा रहा जनाब।।
सबसे बड़े चुनाव में, हालत हुई ख़राब।
नौ चरणों का फैसला, लंबा रहा जनाब।।
चुनावी दोहा न. 59
सकल चरण मतदान के, आकर हुए समाप्त।
अब सोलह को देखिए, किसको क्या हो प्राप्त।।
सकल चरण मतदान के, आकर हुए समाप्त।
अब सोलह को देखिए, किसको क्या हो प्राप्त।।
चुनावी दोहा न. 60
एग्जिट पोल ने कर दिया, मोदी का अभिषेक।
विजय श्री की राह में, शंका बची न शेष।।
एग्जिट पोल ने कर दिया, मोदी का अभिषेक।
विजय श्री की राह में, शंका बची न शेष।।
चुनावी दोहा न. 61
साफ़ इशारा रहे, यूं तो एग्जिट पोल।
फिर भी धुक-धुक हो रही, फंसे न कोई झोल।।
साफ़ इशारा रहे, यूं तो एग्जिट पोल।
फिर भी धुक-धुक हो रही, फंसे न कोई झोल।।
चुनावी दोहा न. 62
कांग्रेस का धुआं उड़ा, जदयू चाटे धूल।
तकरीबन हर राज्य में, खिला नमो फूल।।
कांग्रेस का धुआं उड़ा, जदयू चाटे धूल।
तकरीबन हर राज्य में, खिला नमो फूल।।
चुनावी दोहा न. 63
मोदी-मोदी सब कहें राहुल कहे न कोय।
दस सालों के राज पर कांग्रेस अब रोय।।
मोदी-मोदी सब कहें राहुल कहे न कोय।
दस सालों के राज पर कांग्रेस अब रोय।।
चुनावी दोहा न. 64
चौवालिस पर सिमट गइ, कांग्रेस इस बार।
पूर्ण बहुमत पा गई, मोदी की सरकार।।
चौवालिस पर सिमट गइ, कांग्रेस इस बार।
पूर्ण बहुमत पा गई, मोदी की सरकार।।
चुनावी दोहा न. 65
पहली बार चुनाव में, मुद्दा बना विकास।
सदियां याद दिलाएंगी, चौदह का इतिहास।।
पहली बार चुनाव में, मुद्दा बना विकास।
सदियां याद दिलाएंगी, चौदह का इतिहास।।
चुनावी दोहा न. 66
उत्सव आम चुनाव का, हुआ सफल संपन्न।
अंत भला तो सब भला, जनता दिखे प्रसन्न।।
उत्सव आम चुनाव का, हुआ सफल संपन्न।
अंत भला तो सब भला, जनता दिखे प्रसन्न।।
चुनावी दोहा न. 67
देते यहां विराम अब, दोहों को भी आज।
बहुत बधाइ मोदी जी, करें कुशलतम राज।।
देते यहां विराम अब, दोहों को भी आज।
बहुत बधाइ मोदी जी, करें कुशलतम राज।।
चुनावी दोहा न. 68
धन्यवाद सबका करूं, सबने किया पसंद।
बहुत शुक्रिया दोस्तों, जमकर लिया अनंद।।
धन्यवाद सबका करूं, सबने किया पसंद।
बहुत शुक्रिया दोस्तों, जमकर लिया अनंद।।
मित्रों ने शपथ ग्रहण समारोह तक चुनावी दोहों को जारी रखने का आग्रह किया इसलिए कुछ दोहे और लिखे:
चुनावी दोहा न. 69
दगा कभी ना कीजिये, लगती मोटी हाय।
नीतिश रिश्ता तोड़कर, लुटिया दीन्ह डुबाय।।
चुनावी दोहा न. 70
धोखा देकर फल चखा, जदयू ने भरपूर।
कुत्ता बिल्ली पालिए, पले न अहं हुज़ूर।।
चुनावी दोहा न. 71
आज सेंट्रल हॉल में, हुई धीरता भंग।
बही सफलता आंख से, लौह पुरुषों के संग।।
चुनावी दोहा न. 72
यदि ना होती चार में, भाजप की वो हार।
चौदह में मिलती नहीं, ये मोदी सरकार।।
चुनावी दोहा न. 73
गलत जगह पंगा लिया, अबकि केजरीवाल।
बिना वजह की बात पर, पहुंच गए ससुराल।।
चुनावी दोहा न. 74
अब तो ड्रामा मत करो, हे ड्रामा अधिराज।
गलती से कुछ सीख लो, करो सार्थक काज।।
चुनावी दोहा न. 75
जिसकी देश में कइ जगह, हुई जमानत जब्त।
उसको डर क्यों ना लगे, कोर्ट में भरते वक़्त।।
चुनावी दोहा न. 76
यूपी में अखिलेश को, मिली करारी हार।
बिजली काट के ले रहे, हैं बदला सरकार।।
चुनावी दोहा न. 77
मोदी जी का पाक में, न्योता हुआ क़ुबूल।
इधर-उधर कुछ दे रहे, बिना वजह की तूल।।
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