शनिवार, 22 नवंबर 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: शांतिपूर्ण लोकतंत्र का अद्भुत उदाहरण


बिहार, जिसे कभी चुनावी हिंसा और तनाव के लिये जाना जाता था, इस बार लोकतंत्र के इतिहास में एक उल्लेखनीय परिवर्तन का गवाह बना है। हाल ही सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव अब तक के सबसे शांतिपूर्ण चुनाव माने जा रहे हैं। न कोई बड़े पैमाने पर हिंसा, न प्रतिशोध की घटनाएँ—यह अपने आप में बिहार की लोकतांत्रिक परिपक्वता और प्रशासनिक तैयारियों का जीवंत प्रमाण है।

शांतिपूर्ण चुनाव के लिये सभी को बधाई

इस उत्कृष्ट उपलब्धि का श्रेय किसी एक संस्था या समूह को नहीं जाता। यह सामूहिक प्रयास की सफलता है।

  • बिहार की जनता, जिसने धैर्य, अनुशासन और समता के साथ मतदान किया।
  • भारत निर्वाचन आयोग, जिसने व्यापक और प्रभावी व्यवस्था की।
  • बिहार पुलिस और अर्धसैनिक बल, जिन्होंने बिना भय या दबाव के मतदान सुनिश्चित किया।
  • मतदान कर्मी, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी जिम्मेदारियाँ पूर्ण निष्ठा से निभाईं।

इन सबके प्रयासों ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि लोकतंत्र केवल मतदान का दिन नहीं बल्कि जनभागीदारी और अनुशासन का महोत्सव है।

राजनीतिक दलों की परिपक्वता

चुनावी भाषणों में भले ही तीखे शब्दों और आरोप–प्रत्यारोपों का दौर चला हो, परंतु परिणाम आने के बाद सभी दलों ने जनादेश का सम्मान किया। इससे यह प्रतीत होता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच भी बिहार का लोकतंत्र संवाद और स्वीकार्यता की राह पर आगे बढ़ रहा है।

पश्चिम बंगाल के लिये एक सीख

इसके विपरीत, पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा का अंधकार अब भी गहरा है। वर्षों से चल रही राजनीतिक हिंसा—चाहे वह हत्याओं के रूप में हो, धमकियों में या आम नागरिकों के रक्तपात में—एक लोकतांत्रिक समाज की आत्मा को चोट पहुँचाती है।


विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक चली विचारधारात्मक राजनीति और जमीन-स्तर पर हिंसा-आधारित सत्ता संरचना इसका मुख्य कारण रही है। आज भारत के किसी अन्य राज्य में इतनी तीव्र और संगठित चुनावी हिंसा नहीं देखी जाती।

साल 2026 में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, वहाँ के नेतृत्व और जनता—दोनों को बिहार से सीख लेनी चाहिये। लोकतंत्र में सत्ता बदलने का अधिकार जनता का है, न कि हिंसा और भय का।

मीडिया की चुप्पी और बिहार की अनदेखी उपलब्धि

गौर करने वाली बात यह है कि इतने शांतिपूर्ण चुनाव के बावजूद राष्ट्रीय मीडिया ने बिहार की इस उपलब्धि को शायद ही उचित ध्यान दिया। हिंसा की खबरें सुर्खियों में आती हैं, लेकिन जब कोई राज्य शांतिपूर्ण लोकतंत्र का उदाहरण प्रस्तुत करता है—अक्सर वह अनदेखा रह जाता है।

बिहार ने साबित किया है कि यदि प्रशासनिक इच्छाशक्ति, जनता का सहयोग और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान साथ हो, तो कोई भी राज्य हिंसक चुनावी इतिहास से निकलकर परिवर्तन की राह पकड़ सकता है।


यह चुनाव केवल सरकार गठन की प्रक्रिया नहीं था, बल्कि एक संदेश था—भारत का लोकतंत्र प्रगति की परिपक्व अवस्था में प्रवेश कर रहा है।

बिहार की यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में अन्य राज्यों के लिये मार्गदर्शक बनेगी, और उम्मीद है कि देश का राजनीतिक वातावरण इसी तरह संयमित और शांतिपूर्ण बने।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: शांतिपूर्ण लोकतंत्र का अद्भुत उदाहरण

बिहार, जिसे कभी चुनावी हिंसा और तनाव के लिये जाना जाता था, इस बार लोकतंत्र के इतिहास में एक उल्लेखनीय परिवर्तन का गवाह बना है। हाल ही सम्पन...