Thursday, August 21, 2008

लाश


खबरों की दुनिया बहुत अजीबो गरीब है। कहीं खुशी, कहीं गम, कहीं सफलता, कहीं असफलता, कहीं उत्साह, कहीं निराशा की कहानी। हर रोज़ ऐसी ही चीज़ों से रूबरू होना पड़ता है। लेकिन पिछले कई दिनों से ट्रैक पर ऐसी वीभत्स तस्वीरें देखने को मिल रही हैं कि जीवन से मोह भंग ही हो जाए। और यह लगातार हो रहा है। इन्सान ही इन्सान को इतनी भयंकर मौत दे सकता है, आने वाली पीढियां यह सुनकर ताज्जुब किया करेंगी। किसी की हत्या करके लाश को तेजाब से जला दिया जाता है, ताकि पहचान छिप जाए। तो किसी को मार कर गंग नहर में फ़ेंक दिया जाता है। कितनी ही लाशें गंग नहर में आए दिन बह कर आती हैं, जो मुज़फ्फरनगर जैसे शहरों से बहकर मेरठ तक पहुँचती हैं। आदमी द्वारा आदमी को मारा जाना लगातार जारी है। और उसके पीछे वही पुराने तीन कारण हैं ज़र, जोरू और ज़मीन.... लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। क्या कभी समाज सुधरेगा। क्या कभी समाज की आदर्श तस्वीर देखने को मिलेगी।