सहसा बदल गए हैं चाल-ढाल और आचरण,
सतर्क हो गया है अपने बर्ताव में, व्यवहार में,
अभिनय ऐसा जो भरा हो एक उम्दा फनकार में,
दिखना चाहता है अधिक सभ्य और अत्यंत कुशल,
यही सोच कर रही अंदर गहरी उथल-पुथल,
कहीं कोई देख रहा हो कैमरे से उसका चाल-चलन,
जाने किस नज़र से कर रहा हो उसका आंकलन,
छोटे से कैमरे ने कर दिया इतना बड़ा परिवर्तन,
बेपरवाह व्यक्तित्व में भर दिया त्वरित अनुशासन,
वैसे एक कैमरा तो लगा है उसके स्वयं के भीतर भी,
रिकॉर्ड करता सब तस्वीरें और है एक अच्छा टीचर भी,
अंतर्मन के सीसीटीवी कैमरे से देखा होता अपने कर्म को,
तो समझ गया होता अब तक जीवन के असली मर्म को।
© सचिन राठौर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें