गुरुवार, 20 मई 2010
कुछ सिखा रही है मेट्रो ट्रेन
दिल्ली में मेट्रो ट्रेन ने लोगों को आने जाने की सुविधा देने के साथ साथ बुजुर्गों का सम्मान करना भी सिखा दिया है. अब आप पूछेंगे कि ये कैसे. अजी मेट्रो के अनाउंसर शम्मी नारंग जब बार बार यात्रियों से ये निवेदन करते हैं कि महिलाओं, विकलांगों और बुजुर्गों को बैठने का स्थान दें तो कुछ तो शर्मिंदा होकर और कुछ स्वेच्छा से सीट छोड़ देते हैं. जैसे भी सही लेकिन संकेत अच्छे हैं. हालाँकि आरक्षित सीटों को लेकर महिलाएं दबंगई भी दिखाती हैं. महिला सीट पर बैठे किसी पुरुष वो सहन नहीं कर पाती. ऊपर लिखे निर्देश की और इशारा करते हुए ऐसे सीट मांगती हैं जैसे... छोडो अब क्या लिखना...
लेकिन बुजुर्गों के प्रति नौजवानों का जो ये जेस्चर है वो सराहनीय है. स्थिति ये है कि पूरी मेट्रो में शायद ही आप किसी बुजुर्ग को खड़ा हुआ पायें. लेकिन ये युवाओं द्वारा मेट्रो ट्रेन में बुजुर्गों का ये सम्मान देश के वृद्ध समाज के लिए भी एक सन्देश देता है. जैसे युवा बुजुर्गों के लिए स्थान खाली करने में तत्परता दिखाते हैं उसी तरह बुजुर्गों को भी युवाओं के लिए जगह खाली कर देनी चाहिए. तमाम जगहों पर बूढ़े बूढ़े लोग सीट कब्जाए बैठे हैं. ना खुद कुछ कर पा रहे हैं ना युवाओं को कुछ करने दे रहे हैं. चाहे राजनीति हो या मीडिया हर जगह सफेदी छाई है.
कम से कम मेट्रो ट्रेन से ये ही सबक ले लिया जाये....
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