Friday, October 22, 2010

जयंती तो वाल्मीकि की है, फिर चौपाइयां तुलसी की क्यों?

आज महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती है. अवकाश भी है और उल्लास भी. हर साल की तरह इस बार भी अख़बारों में विज्ञापन दिए गए हैं. वाल्मीकि जयंती पर दिए जाने वाले विज्ञापनों में जो गलती मैं  हर साल देखता हूँ वही इस बार भी दिखी, तो सोचा इस बारे में लिख ही दिया जाए.

दरअसल हर बार महर्षि वाल्मीकि जी के चित्र के साथ उनकी जयंती की बधाई दी जाती है. रामायण लिखते हुए उनका पारंपरिक चित्र. लेकिन उनके समक्ष जो रामायण होती है वो वाल्मीकि रामायण की जगह तुलसी रामायण होती है, जिसमें तुलसी की चौपाइयां लिखी होती हैं. ये चीज़ आपको तमाम जगह देखने को मिल जाएगी. भगवन वाल्मीकि के कैलेंडरों से लेकर उनकी जयंती पर दिए जाने वाली विज्ञापनों तक. आज भी दिल्ली सरकार का जो विज्ञापन दिया गया है (चित्र देखें हिंदुस्तान टाइम्स  में छपा विज्ञापन) उसमें महर्षि वाल्मीकि के समक्ष जो रामायण रखी है उस पर तुलसी की चौपाई- "रघुकुल रीत सदा चल आई..." लिखी है. जबकि महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत में है.

इस कन्फ्यूज़न को दूर करना जरूरी है. क्योंकि छोटे बच्चे इन्हीं सब चीज़ों से अपनी संस्कृति के बारे में सीखते हैं. गोस्वामी तुलसीदास और महर्षि वाल्मीकि की रामायण में अंतर हमें पता होना चाहिए. तुलसी की रामचरितमानस अवधी में है और वाल्मीकि रामायण संस्कृत में. इसलिए महर्षि वाल्मीकि के चित्र में वाल्मीकि रामायण के श्लोकों का समावेश करना चाहिए. इससे वाल्मीकि रामायण की जानकारी  का भी प्रसार होगा. कम से कम सरकारी विज्ञापन में इस तरह की गलती की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. उम्मीद है आगे इस बात का ख्याल रखा जायेगा. दिल्ली सफाई कर्मचारी कमीशन की ओर से जारी इस विज्ञापन में मुख्यमंत्री का चित्र लगा है साथ में कमीशन के चेयरमैन स्वरुप चंद राजन और सदस्य गण राजू सारसर और बीरपाल गहलोत का नाम छपा है. मुझे पूरी उम्मीद है कि ये गलती केवल दिल्ली सरकार के विज्ञापन में ही नहीं बाकि प्रदेश सरकारों और संस्थाओं द्वारा जारी विज्ञापनों में भी होगी.

2 comments:

  1. इस आलेख में आपने बहुत सही बात उठाई
    है।.......जिस मनीषी का संदर्भ दिया जा रहा
    हो उसी के विचारों का उल्लेख किया जाना
    चाहिए।
    =========================
    सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ. ऽ
    चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
    मंगलमय हो आपको, सदा ज्योति का पर्व॥
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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