मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

चर्चा ये आम है आज कल....


कौं रे कलुआ ऐसी का खबर छपी है, जो घूर घूर कै अख़बार मैं घुसो जा रो है.

कुछ न दद्दा.... वे हे न अपने चचा कलमाडी, उनके ताईं पुलिस पकड़ कै लै गयी.

कौन वो कॉमनवेल्थ करोडपति कलमाडी

हाँ दद्दा वोई

फिर अब?

अब का दद्दा पार्टी वारे भी किनारा कर गए हैं. मैडम ने लिकाड़ दओ  पार्टी सै.

बताओ मुसीबत मैं सब संग छोड़ जाए हैं.

अरे कैसे मुसीबत दद्दा... करोड़ों डकारते बखत सोचनी चहिए ही न. मुसीबत तो खुद की बुलाई भई है.

अरे तौ का बिचारे नै अकेले डकारे हे. और भी तो हे संग मैं. उनको नाम कोई न लै रओ. 
 
नाम तौ दद्दा कई के आ रए हैं। शीला चाची कौ भी अंदर करान की मांग उठ रई हैगी। विपच्छ वारे बड़ो हो-हल्ला मचा रए हैं।

देखौ तो एक तौ बिचारन नै अपने यहां खेल कराए और अब जेल भी जानो पड़ रौ है।

जेल-वेल तौ कोई ना जा रौ दद्दा। सब बाहर है जांगे। जे तो लोगन के ताईं फुद्दू बनान के नाटक हैं। जा सै पहलै भी तो कितने नेता पकड़े गए हे, पर काई कौ जेल भई। सब खुल्ले घूम रये हैंगे सांडन के तरह।

पर मोय तो तरस आबै बिचारे कलमाडी पै। बिचारे को अकेले को नाम खराब है रओ है, घी तो औरन नै भी पियो हो।

पियो तो हो दद्दा, पर सबसै ऊपर तो कलमाडी ही हो। जो चाहतो तो सबको रोक लेतो। पर चुपचाप तमाशो देखतो रओ और सबके संग अपनी बैंकैं भरतो रओ। तौ इत्ती फजीहत होनी ही चहिए।

हम्म्! चलौ अब का कर सकै हैं। लगै अब भ्रष्टन की हजामत को समय आ गओ है। जे सब हजारे को कमाल है।

अरे दद्दा कमाल काई को न है। जे सब दिखावो है। कुछ दिनन की बात है खुलो सांड की तरह घूमैगो सड़कन पै, कुछ न होने वारो। बाद में करोड़न की मलाई खाएगो।

पर जौ सजा है गई तौ खेलन की आफत आ जाएगी।

सो क्यौं दद्दा?

सब नेतन की हवा खराब है जाऐगी। फिर कोई अपने यहां खेल न कराने वारो। सब मनै कर दिंगे, जी हमें कोई खेल न कराने।

सुन तो रये हैं कि शीला चाची की घबराई फिर रई हैं। गर कलमाडी नै उनको नाम लै लओ तौ फिर समझो दद्दा बिगड़ गई बात।

अरे वो कलमाडी है कलमाडी! नाम न लेन के भी रुपया खा लैगो कांग्रेस सै।

ही ही ही!!! तुम भी दद्दा क्यौं मजा लै रे हो बुढ़ापे मै।

अरे मैं का मजा ले रौं हौं। मजा तो दिल्ली वारे लै रे हैं।

पर दद्दा जो अगली फेरै सबनै अपने यहां खेल कराने सै मनै कर दई तौ?

न सब न मनै करंगे। वो जो है न मोदी गुजरात वारो, वो करा दैगो नैक देर मैं अपने यहां। बाकी बातन में दम सो लगै।

का पते दद्दा वानै भी मनै कर दई तौ?

तौ फिर कलुआ अपने गांव मै ही करा लिंगे।

जो बात सई है, दद्दा। उनको खर्चा बच जाएगो।

खर्चा कैसे बचैगो कलुआ?

अरे, खेलन के ताईं खेल गांव बनानो पड़ै न। गांव तौ जो पहले सै है बस खेल-खेल कराने हैं।

हा हा हा हा। अरे कलुआ तू तौ समझदार है गओ है अखबार पढ़-पढ़ कै।

सब तुम्हारो आसिरबाद है दद्दा।

जीतो रै जीतो रै! चल अब खेतन पर घूम आऐं।

चलौ दद्दा!!!!!!!!

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