प्यारे बापू,
नमस्ते! हम आपको 66वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने के लिए पत्र लिख रहे हैं. भारत की आजादी के 65 साल पूरे हो चुके हैं. इतने छोटे से अंतराल में ही व्यवस्था परिवर्तन की मांग उठने लगी है. आपने भारत की आजादी के साथ ही कई बड़े सपने देखे थे, उन सपनों की चुन-चुन कर हत्या कर दी गई है. आपके सिद्धांत और दर्शन किताबों में कैद होकर रह गये हैैं. बापू आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम बताना चाहते हैं कि आपके विचारों की अनदेखी करने से सपनों का हिंदुस्तान नहीं बन पाएगा. वो खुशहाली नहीं आएगी जो स्वतंत्रता संग्र्राम के दिनों में देखी गई थी...
स्वराज्य
स्वराज्य एक पवित्र शब्द है. यह एक वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ आत्म-शासन और आत्म संयम है. अंग्रेजी शब्द 'इंडिपेंडेंसÓ अक्सर सब प्रकार की मर्यादाओं से मुक्त निरंकुश आजादी का या स्वच्छंदता का अर्थ देता है. वह अर्थ स्वराज्य शब्द में नहीं है.
-यंग इंडिया, 19-3-1931
बापू सच बताएं तो स्वराज्य की मूल भावना को हम सब भूल गए हैं और वास्तव में हमने स्वछंदता को ही अपना लिया है. देश के छोटे-छोटे नियम कानून मानने में हमें दिक्कत है. लेकिन ये आचरण भी हमने अपने सत्ताधीशों से ही सीखा है.
यूथ ऑफ इंडिया
मेरी आशा देश के युवकों पर है. उनमें से जो बुरी आदतों के शिकार हैं, वे स्वभाव से बुरे नहीं हैं. वे उनमें लाचारी से और बिना सोचे-समझे फंस जाते हैं. उन्हें समझना चाहिए कि इससे उनका और देश के युवकों का कितना नुकसान हुआ है. उन्हें यह भी समझना चाहिए कि कठोर अनुशासन द्वारा नियमित जीवन ही उन्हें और राष्ट्र को संपूर्ण विनाश से बचा सकता है, कोई दूसरी चीज नहीं.
-यंग इंडिया, 9-7-1925
बापू देश का भोला युवा तो परिस्थितियों का शिकार होकर रह गया है. तमाम तरह के दबावों के बीच अधिकांश युवा फ्रस्ट्रेशन की कगार पर हैं. सिगरेट पीना कहीं उनके लिए फैशन है तो कहीं स्ट्रेस से बचने का तरीका.
पंचायती राज
आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए. हर एक गांव में जमहूरी सल्तनत या पंचायत का राज होगा. उसके पास पूरी सत्ता और ताकत होगी. इसका मतलब यह है कि हर एक गांव को अपने पांव पर खड़ा होना होगा- अपनी जरूरतें खुद पूरी कर लेनी होंगी, ताकि वो अपना सारा कारोबार खुद चला सके.
-हरिजन सेवक, 28-7-1946
बापू पंचायती राज तो गांवों को मिल चुका है. लेकिन पंचायती राज के नाम पर गांवों में ऐसी राजनीति घुस गई है कि गांव का ताना-बाना बिखर कर रह गया है. बहुसंख्यक गांव आज पलायन की चपेट में हैं. रंजिशन हत्याएं और आपसी द्वेष चरम पर हैं.
शराब
मैं भारत का गरीब होना पसंद करूंगा, लेकिन मैं यह बरदाश्त नहीं कर सकता कि हमारे हजारों लोग शराबी हों. अगर भारत में शराबबंदी जारी करने के लिए लोगों को शिक्षा देना बंद करना पड़े तो कोई परवाह नहीं, मैं यह कीमत चुकाकर भी शराबखोरी को बंद करूंगा.
-यंग इंडिया, 15-9-1929
बापू शराब तो आज देश की रगों में खून की जगह दौड़ रही है. सरकार खुलकर शराब की दुकानों के लाइसेंस बांट रही है. गली-गली और गांव-गांव शराब की दुकानें पहुंच चुकी हैं. सच पूछो तो देश में कुछ भी शुद्ध नहीं मिल रहा है, केवल एक शराब के सिवा.
बेरोजगारी
जब तक एक भी सशक्त आदमी ऐसा हो जिसे काम न मिलता हो या भोजन न मिलता हो, तब तक हमें आराम करने या भरपेट भोजन करने में शर्म महसूस होनी चाहिए.
-यंग इंडिया, 6-10-1921
बापू, तमाम तरक्की के बावजूद देश में भयंकर बेरोजगारी और शोषण है. शर्म तो बहुत दूर की बात है, सरकार में बैठे हमारे जनप्रतिनिधि तो भ्रष्टाचार की मलाई उड़ा रहे हैं.
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