एक शो रूम में तिहाड़ के उत्पाद. |
तिहाड़ की नमकीन. तिहाड़ जेल का ट्रेड मार्क है टीजे. |
उदाहरण के लिए मेरठ के जिला कारागार में कई बार जब छापे मारे गए तो वहां कैदियों के पास से मोबाइल मिले, पैने हथियार बरामद किए गए और न जाने क्या क्या! हर बार छापा पड़ता है और हर बार ऐसा होता है। कैदियों तक ये सामान पहुंचाते हैं उनसे मिलने आने वाले उनके परिजन, लेकिन उनको रखने की इजाजत आखिर कौन देता है। जेल प्रशासन देखकर भी चीजों को अनदेखा कर देता है। जेल के अंदर कैदियों की जरूरत का सामान बेचने के लिए दुकान भी होती है। लेकिन चीजों के दाम बाजार से पांच गुना लिए जाते हैं। खुद जेल में मौजूद जेल स्टाफ चंद पैसों के लिए कैदियों की उंगलियों पर खेलते हैं। ये तो बेहद छोटी किस्म की चीजों का उल्लेख किया। बड़ी-बड़ी कारस्तानियों को अंजाम दिया जा रहा है। इस सब की जानकारी जेल के जेलर समेत पूरे मेरठ प्रशासन को भी है। लेकिन फिर भी चीजें चल रही हैं। सिर्फ औपचारिकता के लिए कभी-कभी छापे मार दिए जाते हैं। उसके बाद स्थिति जस की तस। और ऐसा केवल मेरठ में नहीं है, देश की समस्त जेलों में अमूमन यही हाल है, कहीं थोड़ा कम तो कहीं थोड़ा ज्यादा।
जिला प्रशासन के पास इतना वक्त ही नहीं कि कैदियों के बारे में थोड़ा रचनात्मक ढंग से सोचकर जेल का एक सुधारगृह के रूप में तब्दील करे। यहां तक कि जो बाल सुधार गृह या बच्चा जेल हैं उनमें भी बच्चों को सुधारने की दिशा में कुछ रचनात्मक नहीं किया जा रहा। कुछ सामाजिक संगठन समय-समय पर जरूर वहां अपनी गतिविधियां आयोजित करते रहते हैं। ऐसा भी नहीं कि जिला प्रशासन के पास सोच नहीं है। लेकिन जेलों को अगर सुधार गृह बनाने की कोशिश की गई तो वहां से आने वाली कमाई पर ब्रेक लग जाएंगे। शायद ही कोई जेलर ऐसा चाहे। तिहाड़ की तरह भारतीय जेलों में तमाम प्रयोग किए जा सकते हैं। सवाल ही नहीं कि इंसान के अंदर सुधार न आए। कुछ अपराध न चाहते हुए भी परिस्थितिवश करने पड़ते हैं। लेकिन अगर जेल में भी नारकीय परिस्थिति मिले तो इंसान की मानसिक हालत और जड़ हो जाती है। तिहाड़ को माॅडल मानकर भारतीय जेलों में जेल इंडस्ट्री भी बनाई जा सकती है। कैदियों की अभिरुचि के मुताबिक उनको प्रशिक्षित किया जा सकता है या उनसे कोई भी रचनात्मक काम कराया जा सकता है। वरना जेलों में अपराधी जाते रहेंगे और वहां से घोर अपराधी बनकर बाहर आते रहेंगे।
जेल भी अपने अपने धंधे के मास्टर लोग ही जाते हैं
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