रविवार, 23 अक्तूबर 2011

आओ मनाएं मिलावटी दीवाली!!!



त्योहारों का मौसम है! मन में ढेर सारी खुशियां हैं (खासतौर से बच्चों के, बड़े तो खुश होने का केवल अभिनय करते हैं) और जेब में ढेर सारे पैसे हैं (मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए 32 रुपयों से कहीं ज्यादा)। महंगाई भी है, लेकिन दीवाली तो हमने तब भी मनाई थी जब पूरे विश्व में महामंदी का दौर था। हमें हमारे त्योहार मनाने से कोई नहीं रोक सकता। इस देश के माता-पिता कमाते ही त्योहार मनाने के लिए हैं। बच्चों को कतई मायूस नहीं कर सकते। प्रेमचंद की ईदगाह में भी गरीबी के दिन झेल रही दादी ने हामिद के हाथ पर ईद मनाने के लिए तीन पैसे रखे थे। वो बात दीगर है कि वो ईदगाह के मेले से अपने लिए खिलौने लाने के बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा लेकर आया था। ये तो हमारे रिश्तों की मिठास है। त्योहार तो भारत की पहचान हैं। हम उनको मनाए बिना नहीं रह सकते, चाहे प्रधानमंत्री हमारे हाथ पर 32 रुपए रखें और चाहे पश्चिमी देश महामंदी में डूब जाएं।

दीवाली तो सबकी है (जेल में बंद यूपीए के मंत्रियों को छोड़कर) और सभी मनाने को उत्सुक हैं। माल तैयार है और बाजार सजे पड़े हैं। बाजार के बाजीगरों ने ग्राहकों को लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। सबकी पौ बारह है। हालांकि महंगाई नंगी होकर भूतनी की तरह नाच रही है। इस महंगाई से निपटने में भारत सरकार भले ही विफल रही हो, लेकिन चीन हम भारतीयों का दर्द भलीभांति समझता है। उसने हमारे दर्द को समझते हुए अपने यहां से सस्ता माल भारत भेज दिया है। पता नहीं क्यों विशेषज्ञ लोग यूं ही कहते रहते हैं कि चीन भारत का दुश्मन है! इस चुड़ैल महंगाई से निपटने में तो चीन भारतीयों का दोस्त ही साबित हो रहा है! मूर्तियां, बिजली की टिमटिमाती लडि़यां, पटाखे, इलेक्ट्राॅनिक्स, चीन ने सबकुछ भेज दिया है आपके लिए।

अब जो चीजें चीन से नहीं भेजी जा सकतीं, उन चीजों में भारतीय मिलावट कर-कर के लोगों की दीवाली मनवा रहे हैं। नकली मावा, नकली मिठाई, नकली सोना-चांदी, सबकुछ मिलावटी। हालात इतने सड़ गए हैं कि किसी भी चीज पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कल बात छिड़ी तो आंटी बताने लगीं कि बाजार में डाई मिली हुई मेहंदी आ रही है, जिससे किसी भी गृहणी का हाथ हल्का न रचे। डाई के असर से सबके हाथ स्याह सुर्ख रचते हैं। पहले कहते थे कि जिन पति-पत्नी में ज्यादा प्यार होता है उनकी मेहंदी ज्यादा रचती है। अब तो प्यार भी नकली है देखने में पता ही नहीं चलेगा कि सच्चा या झूठा। तो मेहंदी भी अगर झूठ बोल रही है तो गुरेज क्या है? मिलावटी मावा और मिठाइयां तो अब पुरानी बात हो चुकी हैं। लोगों ने मिठाइयों का विकल्प भी खोज लिया है। मुंह मीठा कराने की जगह नमकीन कराया जा रहा है- कुरकुरे, लेहर, हल्दीराम वगैराह-वगैराह!!

पिछले दिनों रिश्तेदारी में एक बच्चे का जन्म हुआ तो सोचा कि चांदी की नजरियां भेंट कर दी जाएं, ताकि उसे दुनिया की नजर न लगे। मुरादाबाद में था, सो वहीं के एक सुनहार की दुकान पर गया और एक जोड़ा पसंद करके उसके दाम पूछे। उसने उन रजत कंगनों को इलेक्ट्राॅनिक तराजू में ऐसे तौला मानो अपनी ईमानदारी का परिचय दे रहा हो। बोला जी 600 रुपये के पड़ेंगे। मैंने कहा- भाई मिलावटी तो नहीं है। चांदी में बहुत मिलावट सुनने को मिल रही है। बोला- भाई साहब आपको पूरे बाजार में असली चांदी मिलने की ही नहीं है। सब 60 परसेंट है। हम तो बताकर बेचते हैं। चांदी का असली वाला क्वीन विक्टोरिया का सिक्का 1200 रुपए का पड़ेगा। कौन ग्राहक दे देगा इत्ते रुपए। सबको 500-600 वाले चाहिए। अब मेरठ में हू-ब-हू वैसा ही सिक्का तैयार हो रहा है। आप पहचान नहीं सकते। बस 600 रुपए का है। दीवाली पे जमके बिकेगा। मैंने मन में सोचा जब ये इन कंगनों को अपने मुंह से 60 परसेंट प्योर बता रहा है तो हरगिज ये 20 परसेंट ही प्योर हैं। मेरी उसके साथ कोई नाते-रिश्तेदारी तो थी नहीं जो वो मुझसे हरीशचंद्रपना दिखाएगा। सो मैंने कहा 500 रुपये लगाओ, एक नोट में काम चलाओ। न नुकुर करते हुए उसने 500 पकड़ ही लिए और अपन ये जानते हुए भी कि माल नकली है खुशी-खुशी घर आ गए।

भयानक स्थिति है। इंसान से लेकर मशीन तक, भावनाओं से लेकर चरित्र तक, फलों से मिठाइयों तक, दूध से लेकर दही तक, पानी से लेकर खून तक, मंत्री से लेकर संत्री तक, खुशियों से लेकर दुःख तक, नौकरी से लेकर छोकरी तक, सरकार से लेकर संस्थाओं तक, धर्म से लेकर न्याय तक, हंसी से लेकर आंसुओं तक सबकुछ मिलावटी है हो गया है इस देश में। तो साथियों आप सभी को मिलावटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!!!!!!!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. अपन यह जानते हुए भी कि माल नकली है खुशी खुशी घर वापस आ गए ..
    किया ही क्‍या जा सकता है ??
    .. आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं !!

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कर्म फल

बहुत खुश हो रहा वो, यूरिया वाला दूध तैयार कर कम लागत से बना माल बेचेगा ऊंचे दाम में जेब भर बहुत संतुष्ट है वो, कि उसके बच्चों को यह नहीं पीन...