गाँधी के भारत में देखो लोग तमाशा नकली का.
बच्चे को जो दूध पिलाया वो मिला यूरिया नकली था,
कंप्यूटर का पार्ट खरीदा वो भी साला नकली था,
होली पर जो मावा लाया वो सपरेटा नकली था,
खाकर जब खटिया पे लेटे हुआ पेट दर्द असली का.
चेहरा नकली, पहरा नकली, तू देख तमाशा नकली का.
जो नेता चुनके संसद भेजा उसका चेहरा नकली था,
उसके मुंह से जो भी निकला वो हर वादा नकली था.
नेता के चमचे ने चीखा वो हर नारा नकली था,
पब्लिक के पैसे से लेकिन मज़ा उड़ाया असली का,
बातें नकली, लातें नकली, हाय तमाशा नकली का.
गर्ल फ्रेंड के आंसूं में भी भाव मिला था नकली का,
मीठी मीठी बातों में सब सार छुपा था नकली का,
उसकी तिरछी नज़रों में एक बाण छिपा था नकली का,
इस चक्कर में लगा जेब को वो फटका तो असली था,
प्यार भी नकली, हार भी नकली, खेल तमाशा नकली का.
चीनी, पत्ती, दाल, मसाले, चना, चबैना, नकली का,
खा-खा के चर्बी है लटकी दिखता पौरुष नकली सा,
घर की रसोई से होटल तक हर माल मिला है नकली सा,
पैदा होते नज़र गिरी और लगा है चश्मा असली का,
बॉडी नकली, ताकत नकली, कुछ बचा न जग में असली का.
धरती में एक बूँद भी पानी नहीं बचा है असली का,
कोला पीकर काम चलाओ मज़ा उठाओ नकली का,
नकली आटा, नकली चावल, पेट फुलाओ नकली सा,
तन को अब जो रोग लगा वो रोग लगा है असली का,
बुद्धि नकली, वृद्धि नकली, लाभ हुआ सब नकली का.
पैसे के पीछे अंध दौड़ में हुआ ये जीवन नकली सा,
भूल गए सब तौर तरीका किया है मेक-अप नकली का,
चाल ढाल माहौल है नकली, रिश्ता जोड़ा नकली का,
हर रिश्ते की जड़ में पैसा, स्वार्थ जुडा है असली का,
बेटा नकली, बेटी नकली, घर बना तमाशा नकली का.
आज की यह कड़वी सच्चाई है,..बहुत बढिया सामयिक रचना है....बधाई।
जवाब देंहटाएंपैसे के पीछे अंध दौड़ में हुआ ये जीवन नकली सा,
भूल गए सब तौर तरीका किया है मेक-अप नकली का,
चाल ढाल माहौल है नकली, रिश्ता जोड़ा नकली का,
हर रिश्ते की जड़ में पैसा, स्वार्थ जुडा है असली का,
बेटा नकली, बेटी नकली, घर बना तमाशा नकली का.