आखिरकार आईपीएल-३ का फ़ाइनल निबट ही गया. वैसे तो फ़ाइनल में जीत चेन्नई सुपर किंग्स की हुई है, लेकिन हार बहुतसों की हुई. मुंबई इंडियंस के साथ साथ इस इस आईपीएल में देश के विदेश मंत्री हार गए, आईपीएल के मालिक हार गए और अभी कई लोगों का हारना बाकी है. इन हारों का सिलसिला शायद अब सालभर चलेगा. लेकिन क्रिकेट के नेशनलाईजेशन से लोकलाईजेशन थ्रू ग्लोबलाईजेशन से कई रंग सामने आये हैं.
कौन हारा
खेल में अपनी टांग घुसा के राजनीति एक बार फिर हार गयी है. ये इतिहास रहा है कि जब जब राजनीति ने खेल या धर्म में अपनी टांग घुसाई है तब तब राजनीति की न केवल हार हुई है बल्कि धर्म और खेल की छवि भी ख़राब हुई है. लेकिन फिर भी राजनीति बाज़ नहीं आती. जहाँ जहाँ पैसे कि खनखनाहट या फिर लोगों का शोर सुनाई देता है वो अपनी टांग घुसाने पहुच जाती है. कुछ जगह ऐसी होती हैं जहाँ न नेता चाहिए, न ब्यूरोक्रेसी. वहां लोग अपने आप को खुद मैनेज करना जानते हैं, वहां वो कायदों से दूर रहना चाहते हैं.
दूसरी हार कॉर्पोरेट वर्ल्ड की हुई है, जिसने खेल को माध्यम बनाकर चाँदी कूटने की कोशिश की. पैसे की चमक ने ऐसा अँधा किया कि कायदा कानून सब भुला दिया. डर इसलिए नहीं था क्योंकि सिस्टम में बैठे लोगों का हाथ सर पे था. सो लगे थे गोरखधंधा करने में. ये तो सर्वविदित है कि आईपीएल में जमकर सट्टेबाजी होती है. लेकिन झूठ के पाँव लम्बे नहीं होते किसी खेल की आड़ में दूसरा खेल चलाना ज्यादा दिनों तक मुमकिन नहीं. देश की क्रिकेट दीवानगी का लोकलाईजेशन करना कमाई का बढ़िया तरीका था, लेकिन आखिरकार नियत में खोट पकड़ी गयी.
कौन जीता
जीत तो बशर्ते खेल की ही हुई है. देश को नेशनल फीवर की जगह क्रिकेट का लोकल फीवर चढ़ा. लोगों ने जमकर एन्जॉय किया, टिकटें हाथ नहीं आई. हर तरफ से चाँदी ही चाँदी बरसी. आईपीएल में दूसरा जो सबसे बड़ा फायदा हुआ वह है क्षेत्रवाद पर प्रहार. अलग अलग जगहों के खिलाडी अलग अलग शहरों के लिए खेले और वहां के लोगों ने उनको स्वीकार भी किया. झारखण्ड के धोनी ने चेन्नई के लिए कप्तानी की और उसको जीता भी दिया. ऑस्ट्रेलिया में भले ही भारतियों पर हमले किये जा रहे हों. लेकिन आईपीएल में खेल रहे किसी भी ऑस्ट्रलियाई खिलाडी के खिलाफ देश में कोई आवाज़ नहीं सुनाई दी. सुनाई दी तो केवल और क्रिकेट की डिमांड. लोगों का फोकस इस कदर लोकल हो गया कि पिछली दफा राहुल द्रविड़ ने कहा कि- ऐसा पहली बार हुआ जब मैंने इंडिया में छक्का मारा और तालियाँ नहीं बजी. हमारे खिलाडी, हमारा खेल, हमारे दर्शक, हमारे शहर, हमारा देश ये सब इस आईपीएल में जीत गए हैं. हारे केवल वे लोग हैं जो एक खेल की आड़ में कई खेल खेलने की कोशिश कर रहे थे.
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